कल्पना कीजिए कि आपको किसी संगीत या नृत्य समारोह का कार्यक्रम प्रस्तुत करना है लेकिन आपके सहयोगी कलाकार किसी कारणवश नहीं पहुँच पाएँ-
(क) ऐसे में अपनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
(ख) ऐसी परिस्थिति का आप कैसे सामना करेंगे?
(क) एक धार्मिक उत्सव में मुझे प्रवचन करना था। प्रवचन का निश्चित समय निकट आ रहा था, मंच पर कार्यकर्ता उत्साह से व्यवस्था में जुटे थे किंतु मेरी घबराहट बढ़ रही थी। मेरा साथ देने वाले आचार्य अभी तक आए नहीं थे। विलंब का कारण पता नहीं चल रहा था। एक-एक पल भारी लग रहा था। समय बीता और मंच से कार्यक्रम आरंभ करने की सूचना दे दी गई। मैं मंच पर पहुँचा। वाचक की भूमिका प्रस्तुत कर रहा था। मन-ही-मन आचार्य के आने की ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था। दृष्टि पथ की ओर बार-बार आ-जा रही थी। इसी बीच आचार्य आते दिखाई दिए। ऐसा लगा कि टिमटिमाता दीपक पुनः स्नेह (तेल) पाकर पुलक कर जल उठा हो।
(ख) परिस्थिति का आकलन करूँगा। कार्यक्रम को स्थगित करने के लिए आग्रह करूँगा, लोगों से हुए कष्ट के प्रति संवेदना व्यक्त कर क्षमा याचना करूँगा। अवसर मिलते ही वहाँ से खिसकना उचित समझूँगा क्योंकि अधिक देर ऐसी स्थिति में वहाँ रुकना स्वास्थ्य और मर्यादा के लिए उचित न होगा।